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उन्नत बीज

धान की रोपाई

धान की रोपाई

दोस्तों आज हम बात करेंगे, धान की रोपाई की यदि आप एक किसान भाई हैं और आपको धान की रोपाई की पूरी जानकारी सही तरह से मालूम नहीं है, तो आप की फसल खराब हो सकती है। इसलिए आप धान की रोपाई की सभी प्रकार की आवश्यक बातें को जानने के लिए हमारे इस पोस्ट के अंत तक बने रहें: 

धान की रोपाई करने का तरीका (Paddy transplanting method):

धान की रोपाई करने से पहले खेत को अच्छी तरह से दो से तीन बार गहरी जुताई की आवश्यकता होती है। किसान भाई धान की रोपाई करने के लिए एक हफ्ते पहले ही खेत की अच्छी तरह से सिंचाई कर लेते हैं। रोपाई करने के लिए हैरो की आवश्यकता पड़ती है यह जुताई लगभग दो से तीन बार हैरो द्वारा की जाती है। जुताई करने के बाद खेत को अच्छी तरह से पानी से भर दिया जाता है। खेतों में पडलर और टिलर की सहायता से जुताई की जाती है। जताई करने के बाद खेतों में पाटा लगाकर मिट्टी को अच्छी तरह से समतल बना दिया जाता है।

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धान की रोपाई करते समय खाद का उपयोग:

धान की फसल किसानों के लिए बहुत ही उपयोगी होती है। इस फसल से किसान को काफी मुनाफा होता है। धान की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए आखिरी जुताई में किसान लगभग 100 से लेकर150 कुंटल पर हेक्टर गोबर की सड़ी खाद का इस्तेमाल कर खेतों में डालते हैं। खाद डालने के साथ ही साथ लगभग उर्वरक 120 किलोग्राम वही नत्रजन 60 किलोग्राम तथा फास्फोरस 60 किलोग्राम पोटाश तत्वों का इस्तेमाल करते हैं। इन खादो का इस्तेमाल करने से धान की अच्छी फसल का उत्पादन होता है। 

धान की फसल में पहली खाद कब डालें:

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि सूर्य प्रकाश की कमी हो जाने से फसलें काफी नाजुक और कमजोर हो जाती है।ऐसी स्थिति में आप को समय रहते ही यूरिया खाद का इस्तेमाल करना चाहिए।15 से 20 दिन के अंदर पौधों को सूर्य प्रकाश ना मिले तो यूरिया खाद का इस्तेमाल करें। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस तरीके को अपनाने से फसल खराब नहीं होने पाती और धान की फसल की अच्छी पैदावार होती है।

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धान की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए खाद डालने के इस तरीके को अपनाना आवश्यक होता है। 

धान की रोपाई करने के बाद, खाद कितने दिनों में डाले :

किसानों के अनुसार धान की रोपाई करने के बाद यदि ऐसा लगता है। कि धान की फसल में खाद डालने की आवश्यकता है की नही तभी फसलों में खाद डालें। धान की रोपाई में लगभग 35 दिनों के बाद खाद डालते हैं। परंतु बिना कृषि वैज्ञानिकों की सलाह अनुसार धान की फसल में खाद ना डालें।

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धान की फसल में नमक का इस्तेमाल:

धान खरीफ की सबसे प्रमुख फसल मानी जाती है। अल्पवर्षा के मौसम में लगभग 15 दिनों के लिए फसलों को सुरक्षित रखने के लिए नमक का छिड़काव करना उपयोगी होता है। नमक के छिड़काव से फसल बारिश से पूरी तरह सुरक्षित रहती है। नमक छिड़काव से भूमि में नमी बनी रहती है। इस प्रक्रिया को अपनाने से भूमि की उर्वरक क्षमता में भी कोई कठिनाई या फर्क नहीं पड़ता है। इसीलिए नमक का छिड़काव करना धान की फसल के लिए उपयोगी होता है। 

धान की फसल में कीटनाशक का उपयोग:

कभी-कभी ऐसा होता है, कि धान की फसल में फुदका रोग लगने की संभावना बन जाती है। यह स्थिति फसलों में पानी भर जाने के कारण पनपती है। मान लीजिए अगर फसलों में फुदका रोग लग गया हो तो, फसलों की सुरक्षा करने के लिए कीटनाशक क्लोरोपाइरीफास Chlopyrriphos कि लगभग 1 मिलीलीटर मात्रा को पूरे खेतों में अच्छी तरह से छिड़काव कर दे। 

धान की प्रमुख किस्में:

धान की प्रमुख किस्में कुछ इस प्रकार है: धान की किस्में सिंचित दशा, जो सिंचित क्षेत्रों मे जल्दी पकने वाली किस्में कही जाती है। धान की दूसरी किस्म पूसा जो लगभग 169 दिनों में पक जाती है। धान की कुछ लोकप्रिय किस्म पूसा बासमती 1718, पूसा बासमती 1728, कावेरी 468, पूसा बासमती 1692, पूसा PB1886, पूसा-1509 आदि है। धान की नरेंद्र किस्म जो 80 दिनों का समय लेती है। पंत धान 12 तथा मालवीय धान-3022, उसके बाद नरेन्द्र धान-2065, धीमी पकने वाली पंत धान 10, पंत धान-4, और सरजू-52, नरेन्द्र-359, नरेन्द्र-2064, नरेन्द्र धान-2064, पूसा-44, पीएनआर लगभग प्राप्त की गई जानकारियों के अनुसार 381 प्रमुख किस्में मौजूद है।

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धान की अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए निम्न बातों पर ध्यान दे:

  • कुछ परिस्थितियां में जैसे, क्षेत्रीय जलवायु तथा मिट्टी का चयन, सिंचाई का साधन होना, जलभराव की समस्या, बुवाई कैसे करें, रोपाई की व्यवस्था आदि समस्याओं से बचने के लिए पहले ही प्रबंध बनाएं। धान की रोपाई करते समय हमेशा अच्छी बीज प्रजाति का चयन करें।
  • हमेशा धान की रोपाई करते समय शुद्ध प्रमाणित एवं शोधित बीज ही बोयें। ताकि फसल खेतों में पूरी तरह से उत्पादन हो सके।
  • खेतों में खाद डालते समय अच्छी तरह से मृदा परीक्षण हो जाने के बाद ही संतुलित उर्वरकों को हरी खाद एवं जैविक खाद में मिलाकर खेतों में रोपण करें। खाद की उचित मात्रा तथा समय पर खादो को खेतों में डालना उपयोगी होता है।
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  • सही समय पर बुवाई तथा सिंचाई करना आवश्यक होता है।
  • धान के पौधों की संख्या सुनिश्चित इकाइयों पर को जानी चाहिए।
  • कीट रोग एवं खरपतवार नियंत्रण बनाए रखने के लिए समय-समय पर कृषि विशेषज्ञों के अनुसार रासायनिक खादों का इस्तेमाल करते रहना चाहिए। जिस से पूर्ण रुप से फसलों की सुरक्षा हो सके।
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शुद्ध एवं प्रमाणित बीज का इस्तेमाल:

यदि आप शुद्ध एवं प्रमाणित बीज का इस्तेमाल करते हैं तो धान की उत्पाद क्षमता अधिक हो जाती है। कृषक इन उन्नत बीजों का इस्तेमाल अपने अगले उत्पाद के लिए भी कर सकते हैं। तथा तीसरे प्रमाणित बीज लेकर बुवाई कर सकते हैं। इस प्रकार शुद्ध एवं प्रमाणित बीजों का इस्तेमाल करना उपयोगी होता है।

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दोस्तों हम उम्मीद करते हैं हमारा यह आर्टिकल धान की रोपाई आपको पसंद आया होगा। हमारे इस आर्टिकल में धान की रोपाई से जुड़ी सभी प्रकार की आवश्यक बातें मजबूत हैं। जो आपके काम बहुत काम आ सकती है यदि आप हमारी दी हुई जानकारियों से संतुष्ट हैं। तो हमारे इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा सोशल मीडिया तथा अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। धन्यवाद।

इजराइल की मदद से अब यूपी में होगी सब्जियों की खेती, किसानों की आमदनी बढ़ाने की पहल

इजराइल की मदद से अब यूपी में होगी सब्जियों की खेती, किसानों की आमदनी बढ़ाने की पहल

लखनऊ।

इजराइल की मदद से सब्जियों की खेती

केन्द्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी लगातार किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं। अब
उत्तर प्रदेश में इजराइल की मदद से सब्जियों की खेती होने जा रही है। उत्तर प्रदेश में चंदौली जिला ''धान का कटोरा'' नाम से जाना जाता है। चंदौली में अब इजराइल की मदद से आधुनिक तकनीकी से सब्जियों की खेती करने की योजना बनाई जा रही है। चंदौली में इंडो-इजरायल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल की स्थापना की जा रही है। इसका फायदा चंदौली के साथ-साथ गाजीपुर, मिर्जापुर, बनारस व आसपास के कई जिलों को मिलेगा। उक्त सेंटर के द्वारा किसानों को सब्जियों की पैदावार बढ़ाने में काफी फायदा मिलेगा।


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खेतों में आधुनिक तकनीकी का प्रयोग कर किसान को बेहतर उपज देने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। यूपी में कृषि क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए कृषि उत्पादों की नर्सरी तैयार की जा रही है। जिससे कई जिलों के किसानों को लाभ मिलेगा। इसके अलावा यूपी के इस जिले का कृषि और सब्जियों के क्षेत्र में पूरी दुनियां में नाम रोशन होगा। यूपी सरकार की योजना है कि धान व गेहूं के उत्पादन में बेहतर रहने वाला जिला सब्जियों के उत्पादन में भी बेहतर परिणाम दे सके, जिसके लिए पूरी तैयारी की जा चुकी है।


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इस तकनीकी से किसानों को मिलेंगे उन्नत बीज

- इजराइल तकनीकी से होने वाली खेती के लिए किसानों को उन्नत बीज मिलेंगे। उत्कृष्टता केन्द्र बागवानी क्षेत्र में नवीनतम तकनीकी के लिए प्रशिक्षण केन्द्र के रूप में काम किया करते हैं। कृषि सेंटर से चंदौली के साथ-साथ पूर्वांचल के किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध कराए जाएंगे।


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चंदौली में बागवानी फसलों के लिए मिलती है अच्छी जलवायु

उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में बागवानी खेती के लिए अच्छी जलवायु एवं वातावरण मिलता है। यही कारण है कि चंदौली को चावल का कटोरा कहा जाता है। यूपी में 9 ऐसे राज्य हैं जिनमें विभिन्न बागवानी फसलों के लिए अनुकूल वातावरण मिलता है। सब्जियों के लिए उत्कृष्टता केन्द्र टमाटर, काली मिर्च, बैंगन, खीरा, हरी मिर्च व विदेशी सब्जियों का हाईटेक क्लाइमेंट कंट्रोल्ड ग्रीन हाउस में सीडलिंग उत्पादन किया जाना प्रस्तावित है।
आने वाले दिनों में ऐसा रहेगा आगरा का मौसम, कुछ महत्वपूर्ण सलाहें

आने वाले दिनों में ऐसा रहेगा आगरा का मौसम, कुछ महत्वपूर्ण सलाहें

कृषि विज्ञान केन्द्र बिचपुरी आगरा को भारत मौसम विज्ञान विभाग नई दिल्ली से प्राप्त मौसम के पूर्वानुमान के आधार पर आगामी पांच दिनों में बादल न रहने व वर्षा नहीं होने का अनुमान है। हवा लगभग 4.2 से 10.7 किमी प्रतिघंटा की औसत गति से मुख्यतः पूरव - उत्तर से पश्चिम - उत्तर से बहने की संभावना है। अधिकतम तापमान 26.9 से 30.2 व न्यूनतम तापमान 11.7 से 14.7 डिग्री सेल्सियस के लगभग रहने की संभावना है। आपेक्षिक आर्द्रता सुबह 33 से 46 व शाम को 18 से 24 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है।


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किसानों को सलाह है, कि खरीफ फसलों (धान) के बचे हुए अवशेषों (पराली) को ना जलाऐं। क्योंकि इससे वातावरण में प्रदूषण होता है, जिससे स्वास्थय सम्बन्धी बीमारियों की संभावना बढ जाती है। इस कारण फसलों की उत्पादकता व गुणवत्ता प्रभावित होती है। किसानों को सलाह है, कि धान के बचे हुए अवशेषों (पराली) को जमीन में मिला दें। इससे मृदा की उर्वरकता बढ़ती है, साथ ही यह पलवार का भी काम करती है। धान के अवशेषों को सड़ाने के लिए पूसा डीकंपोजर कैप्सूल का उपयोग @ 4 कैप्सूल/हैक्टेयर किया जा सकता है। किसानों को सलाह दी जाती है, कि वह स्थानीय कृषि रसायन विक्रेताओं की सलाह पर कृषि कार्य ना करें कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह लेकर ही कृषि कार्य करें।

फसल सम्बंधित महत्वपूर्ण सलाहें

गेंहू की बुवाई हेतू खाली खेतों को तैयार करें तथा उन्नत बीज व खाद की व्यवस्था करें। उन्नत प्रजातियाँ-सिंचित परिस्थिति- (एच. डी. 3226), (एच. डी. 2967), (एच. डी. 3086), (एच. डी. 2851)। बीज की मात्रा 100 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर। जिन खेतों में दीमक का प्रकोप हो तो क्लोरपाईरिफाँस 20 ईसी @ 5 लीटर प्रति हैक्टेयर की दर से पलेवा के साथ दें। नत्रजन, फास्फोरस तथा पोटाश उर्वरकों की मात्रा 120, 50 व 40 कि.ग्रा. प्रति हैक्टेयर होनी चाहिये।


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बरसीम की बुवाई के लिए खेत की तैयारी करें। बुवाई का समय मध्य अक्टूबर से मध्य नवंबर तक उचित रहता है, प्रजातियां- वरदान, मेस्कावी, J.H.B-146, J.H.T.B-146. बीज दर: प्रति हैक्टेयर 25-30 किग्रा० बीज बोते है। पहली कटाई मे चारा की उपज अधिक लेने के लिए 1 किग्रा० /हे० चारे वाली टा -9 सरसों का बीज बरसीन में मिलाकर बोना चाहियें। उर्वरक: 20 किग्रा० नत्रजन एंव 80 किग्रा० फास्फोरस प्रति हैक्टेयर की दर से बोते समय खेत में छिड़क कर मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें।

बागवानी (अमरुद) सम्बंधित सलाह

अमरूद में शीत ऋतु के फल बन चुके हैं। आवश्यकता आधारित सिंचाई के माध्यम से मिट्टी में उचित नमी बनाए रखें। कलम के नीचे से निकल रहे कल्लों को तोड़ते रहें। वृक्ष के थाले को खरपतवार मुक्त रखें। यदि ड्रिप प्रणाली से उर्वरकोंका कों प्रयोग किया जा रहा है, तो पानी में घुलनशील उर्वरकों को 7 दिनों के अंतराल पर प्रयोग करें। इस स्तर पर, फलों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए पोटेशियम का प्रयोग महत्वपूर्ण है।

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पशु सम्बंधित सलाह

किसान भाइयो लम्पी स्किन रोग की रोकथाम के लिए जनपद में "गोट पॉक्स वैक्सीन" उपलब्ध है। स्वस्थ पशु का वैक्सीनेसन कराएं। रोग से प्रभावित पशु को देखते ही नजदीकी पशुचिकित्सक को सूचना दें। लंपी स्किन रोग का घरेलू उपचार-1 kg नीम की पत्तियों को 4 लीटर पानी मे हल्की आग पर उबालें और जब पानी आधा रह जाये तब उसे ठंडा करके छान लें, और रोग से प्रभावित पशु के शरीर को शूती कपड़े से पोछदें। यह प्रक्रिया पशु के ठीक होने तक करते रहें।
यूपी सरकार की बड़ी प्लानिंग, जल्द खुलने जा रहे हैं बीज पार्क

यूपी सरकार की बड़ी प्लानिंग, जल्द खुलने जा रहे हैं बीज पार्क

कहा जाता है कि, किसानों की अच्छी फसल उनके अच्छे बीजों की क्वालिटी पर निर्भर करती है. जिसके लिए कई राज्यों में किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध करवाए जाते हैं. इसके अलावा बीज खरीदने के लिए जो भी लागत आती है, उसे कम करने के लिए मिनी किट भी फ्री में बांटी जाती है. इसी दिशा में अब यूपी सरकार ने बीजों की उपलब्धता के लेकर बड़ी प्लानिंग कर ली है और इस पर काम कर रही है. यूपी सरकार अब खुद का बीज पार्क बनाने जा रही है. कहा जा रहा है कि इस पार्क से किसनों को उन्नतशील बीजों की उपलब्धता राज्य के बाहर से मंगवाने के बजाय घरेलू बीज पार्क से ही उपलब्ध कराया जाएगा. जानकारी के मुताबिक बता दें कि, इस पूरी प्रक्रिया में यूपी के कृषि विभाग को साउथ के राज्यों की भी मदद मिलेगी. रिपोर्ट्स के मुताबिक उत्तर प्रदेश का सबसे पहला बीज पार्क लखनऊ के मलीहाबाद स्थित रहमान खेडा में बनाया जा सकता है. इस जगह से किसानों को मोटा अनाजों के बीज भी उपलब्ध करवाए जाएंगें.

जानिए सरकार की प्लानिंग

यूपी सरकार ने राज्य में पहला बीज पार्क स्थापित करने की तैयारियां शुरू कर दी हैं. हाल ही में यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप साही ने कई शहरों में विजित किया था. जहां पर बीज पार्क को बनाने से जुड़ी कई जरूरी जानकारियां मिली थीं. ये भी देखें: 13 फसलों के जीएम बीज तैयार करने के लिए रिसर्च हुई शुरू आपको बता दें कृषि मंत्री ने हैदराबाद में कई कृषि कम्पनियों के प्रतिनिधियों के सामने यूपी की राजधानी लखनऊ में बीज पार्क बनाने के लिए मदद भी मांगी.

मिलेंगे धान और मिलेट के उन्नत बीज

उत्तर प्रदेश में बनने वाले बीज पार्क में धान और मिलेट के उन्नतशील किस्में उपलब्ध करवाई जाएंगी. इनकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कृषि मंत्री ने हैदराबाद में विजित करके धान और मिलेट के उन्नत बीजों को लेकर स्टार्टअप करने को लेकर जानकारियां हासिल की हैं.

इस संस्थान से मिलेगा मोटा अनाज का बीज

यूपी में राज्य सरकार मोटा अनाज के उत्पादन को बढ़ाने में कमर कस चुकी है. जिसके लिए अच्छे और बेहतर उत्पादन की जरूरत है और यह जरूरत उन्नतशील बीजों से पूरी होनी जरूरी है. राज्य में मिलेट के एडवांस बीजों को मुहैया करवाने के लिए भारतीय म,मोटा अनाज अनुसंधान संस्थान ने मदद का आश्वासन दिया है. संस्थान की मानें तो यूपी में मिलेट की उपज को बढ़ाने के लिए साइंटिस्ट की टीम राज्य में विजिट करेगी. ताकि किसानों को इस विषय में ज्यादा से ज्यादा जानकारी मुहैया करवाई जा सके. जानकारी के लिए बता दें कि उत्तर प्रदेश बीजों का काफी बड़ा बाजार है. जहां देश की कई बड़ी कम्पनियां बीज बेचकर करोड़ों रुपये का मुनाफा कमा रही हैं, और कारोबार कर रही हैं.